Paramahansa yogananda books in hindi
The autobiography of a yogi hindi महाराजश्री इतनी ऊँचायी पर अवस्थित हैं कि शब्द उन्हें बाँध नहीं सकते | जैसे विश्वरूपदर्शन मानव-चक्षु से नहीं हो सकता, उसके लिए दिव्य-द्रष्टि चाहिये और जैसे विराट को नापने के लिये वामन का नाप बौना पड़ जाता है वैसे ही पूज्यश्री के विषय में कुछ भी लिखना मध्यान्ह्य के देदीप्यमान सूर्य को दीया दिखाने जैसा ही होगा | फ़िर भी अंतर में श्रद्धा, प्रेम व साहस.
Autobiography of a Yogi in Hindi PDF | यग कथमत
Title : यग क आतमकथ
Pages :
File Size : MB
Author : परमहस यगननद
Category : Biography
Language : Hindi
To read : Download PDF
For support : contact
कवल पढ़न हत : मनषय त वह ह ज सवरथ क लए लड़त न ह अहकर म पड़कर अपन ह टग हर जगह अड़य रखन
और दसर सथय क उसम स वचर क भ मलय न समझन परसपर क वयवहर क चपट कर दत ह घर और समज क वह मलक बदवमन ह ज परय हर वयवहर म अपन सथय, परवर वल तथ अनगमय स समपत लत ह कह ह- "पच सरख कज कज, हर जत नह लज"
सथय स सपतत लकर कम करन स अपन शरषठत घटत नह अपत बढ जत ह अनक वचर क मल जन पर परय बगड़त नह यद समय स बगड भ जय त उसक हन कवल वयवसथपक क अपन सर पर नह आत उसम सब हससदर ह जत ह और परसपर वयवहर मधर बन रहत ह
कई बर मनषय स गलत ह जत ह, परनत वह अपन गलत क सवकरत नह ह इसस भ वयवहर बगड़ जत ह अपन गलत न मनन क मल म भ अहकर ह ह मनषय समझत ह क हम अपन गलत सवकर करग त लग हम ह यह हन समझग, परनत यह कवल भल ह वनमरत परवक सचच हदय स अपन गलत सवकर लन वल पर सबक शरदव ह जत ह
अतएव मनषय यद अपन जवन सख बनन चहत ह, त उस चहए क वह भतक भग क ललच, सवरथ क आसकत एव अहम भवन क तयग करक सथय म मधरतम परम क वयवहर सथपत कर
यद सथ सचमच बर बन जत ह त वयवहर नह बनत; परनत अधकशत परसपर क वयवहर इसलए बगड़ जत ह क एक दसर क ठक स समझन म तरट करत ह कई बर ऐस हत ह क कई वयकत हमर सधर क लए ऐस शबद कहत ह ज हम कट लगत ह और हम यह मन लत ह क वह हमर बरइय क दखत रहत ह यदयप कहन वल क हदय हमर लए सफ और सरल हत ह
कई बर हमर सथ उततजन म आकर सचमच कट कह दत ह और इस आधर पर हम अपन सथ क अपन दष-दरशक, छदरनवष और वर समझ लत ह; परनत वह हम कट कहन क ततकल बद उस पर घर पशचतप करत ह और मन ह मन सचत ह क मन उसक नहक कट कह
More: ओश क परसदध पसतक 'सभग स समध क ओर' (PDF)
हम कई बर यह मन रहत ह क अमक वयकत हमस दवष करत ह और इसलए हम उसक यह नह जन चहए; परनत यद हम उसक यह चल जत ह त वह हमर आवभगत करत ह, परसनन हत ह और परव और परव क धमल वयवहर नखर जत ह
Pages :
File Size : MB
Author : परमहस यगननद
Category : Biography
Language : Hindi
To read : Download PDF
For support : contact
कवल पढ़न हत : मनषय त वह ह ज सवरथ क लए लड़त न ह अहकर म पड़कर अपन ह टग हर जगह अड़य रखन
और दसर सथय क उसम स वचर क भ मलय न समझन परसपर क वयवहर क चपट कर दत ह घर और समज क वह मलक बदवमन ह ज परय हर वयवहर म अपन सथय, परवर वल तथ अनगमय स समपत लत ह कह ह- "पच सरख कज कज, हर जत नह लज"
सथय स सपतत लकर कम करन स अपन शरषठत घटत नह अपत बढ जत ह अनक वचर क मल जन पर परय बगड़त नह यद समय स बगड भ जय त उसक हन कवल वयवसथपक क अपन सर पर नह आत उसम सब हससदर ह जत ह और परसपर वयवहर मधर बन रहत ह
कई बर मनषय स गलत ह जत ह, परनत वह अपन गलत क सवकरत नह ह इसस भ वयवहर बगड़ जत ह अपन गलत न मनन क मल म भ अहकर ह ह मनषय समझत ह क हम अपन गलत सवकर करग त लग हम ह यह हन समझग, परनत यह कवल भल ह वनमरत परवक सचच हदय स अपन गलत सवकर लन वल पर सबक शरदव ह जत ह
अतएव मनषय यद अपन जवन सख बनन चहत ह, त उस चहए क वह भतक भग क ललच, सवरथ क आसकत एव अहम भवन क तयग करक सथय म मधरतम परम क वयवहर सथपत कर
यद सथ सचमच बर बन जत ह त वयवहर नह बनत; परनत अधकशत परसपर क वयवहर इसलए बगड़ जत ह क एक दसर क ठक स समझन म तरट करत ह कई बर ऐस हत ह क कई वयकत हमर सधर क लए ऐस शबद कहत ह ज हम कट लगत ह और हम यह मन लत ह क वह हमर बरइय क दखत रहत ह यदयप कहन वल क हदय हमर लए सफ और सरल हत ह
कई बर हमर सथ उततजन म आकर सचमच कट कह दत ह और इस आधर पर हम अपन सथ क अपन दष-दरशक, छदरनवष और वर समझ लत ह; परनत वह हम कट कहन क ततकल बद उस पर घर पशचतप करत ह और मन ह मन सचत ह क मन उसक नहक कट कह
More: ओश क परसदध पसतक 'सभग स समध क ओर' (PDF)
हम कई बर यह मन रहत ह क अमक वयकत हमस दवष करत ह और इसलए हम उसक यह नह जन चहए; परनत यद हम उसक यह चल जत ह त वह हमर आवभगत करत ह, परसनन हत ह और परव और परव क धमल वयवहर नखर जत ह